सौतन
सौतन
1 .सखी सौतिया डाह ने ,सब सुख धर दी आज l
बैठ गयी चुपचाप मैं, छेड़ ना कोई राग ll
2. लाख बचाऊँ सौत से, चला उसी का मंत्र l
साम दाम में दक्ष है, करे बड़ा षडयंत्र ll
3. कब कैसे सौतन बनी, ये बंशी की तान l
नटवर मेरे साँवरे, बसे उसी में प्राण ll
4. पिया सेज सुख भोगती, सौतन हर दिन वार l
आस पास ही घुमती, करें नही उपकार ll
5. मार कटारी मन करे, सौतन ले लू प्राण l
क्रोधाग्नि में जले सदा, आहत पिय का शान ll
6. डायन सौतन डंक से, घायल मेरे पीव l
समय काल सब देखते, चोटिल होत अतीव ll
7. प्रीतम को है भा गया, सौतन का श्रृंगार l
पल पल उसकी चाहना, देखे रूप निहार ll
8. सौतन काँटा से अधिक, बिखहर कोई नाग l
ऐसे फैले जहर है, टूटत है ताग ll
9. पिया मुझे मत मिल सके, सौतन की है चाल l
चहुँ दिशि उसकी दृष्टी है, फैलाये है जाल ll
माधुरी डडसेना "मुदिता"
नगर पंचायत भखारा
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